उत्तर प्रदेश में हाल ही में 60,000 पदों पर हुई भर्ती ने लाखों युवाओं के सपनों को साकार किया है। जिन अभ्यर्थियों का चयन इस भर्ती में हो चुका है, उनके जीवन में एक नई शुरुआत हुई है। लेकिन अब उन्हीं अभ्यर्थियों से एक बड़ी नैतिक जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती है।

आजकल यह देखा जा रहा है कि कुछ ऐसे अभ्यर्थी, जो पहले ही 60,000 वाली भर्ती में चयनित हो चुके हैं, वे अब यूपी पुलिस सब-इंस्पेक्टर (UPSI) की भर्ती के लिए भी आवेदन भर रहे हैं। देखने में यह साधारण बात लग सकती है, परंतु इसके परिणाम दूरगामी और गंभीर हो सकते हैं।

आप सोच रहे होंगे कि – “जब हम योग्य हैं तो किसी भी परीक्षा में क्यों न बैठें?” यह तर्क सतही तौर पर सही लगता है, परंतु यदि गहराई से देखें तो यह न केवल अन्य युवाओं के अवसरों को सीमित करता है बल्कि समाज में असमानता को और गहरा कर देता है।

अवसर छीनना किस हद तक उचित है?

मान लीजिए, आपने 60,000 वाली भर्ती में अपनी मेहनत और लगन से सफलता प्राप्त की। यह निश्चित रूप से गर्व की बात है। लेकिन यदि अब आप फिर से UPSI भर्ती में बैठते हैं और चयनित भी हो जाते हैं, तो आपकी वह सीट जो पहले 60,000 वाली भर्ती में थी, व्यर्थ हो जाएगी।

उस सीट पर कोई और योग्य अभ्यर्थी नियुक्त हो सकता था, परंतु आपके दोहरी नियुक्ति की इच्छा ने उस अवसर को बंद कर दिया।

गरीब और वंचित वर्ग पर प्रभाव

यह बात हमें हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि बेरोजगारी की मार सबसे अधिक गरीब और वंचित वर्ग के छात्रों पर पड़ती है। जिनके पास कोचिंग के साधन नहीं हैं, जिनके परिवार कर्ज लेकर आवेदन शुल्क और तैयारी का खर्च उठाते हैं, उनके लिए यह अवसर जीवन बदलने वाला होता है। यदि आप पहले ही चयनित होकर सुरक्षित भविष्य पा चुके हैं, तो बेहतर यही होगा कि आप दूसरों के लिए स्थान छोड़ दें।

जिम्मेदारी बनाम स्वार्थ

भर्ती केवल नौकरी प्राप्त करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह समाज के प्रति जिम्मेदारी का अवसर भी है। यदि हम स्वार्थवश सभी अवसरों को अपने कब्जे में लेना चाहते हैं, तो इससे समाज में अन्याय और असंतुलन बढ़ता है।

सच्ची सफलता वही है, जिसमें हम अपने साथ दूसरों को भी आगे बढ़ने का मौका दें।

निष्कर्ष

अतः जो अभ्यर्थी 60,000 वाली भर्ती में पहले ही चयनित हो चुके हैं, उनसे विनम्र निवेदन है कि वे UPSI भर्ती के लिए आवेदन न भरें। यह कदम न केवल दूसरों के जीवन में उम्मीद की किरण जगाएगा, बल्कि आपकी सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिकता को भी उजागर करेगा।

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