फतेहपुर फतेहपुर जिले के अबूनगर इलाके मौजूद एक मकबरे को लेकर जबरदस्त बवाल हो गया. हिंदू पक्ष इसे मंदिर बता रहा है. इस बीच आज बड़ी संख्या में बजरंग दल और हिंदू धर्मावलंबियों के लोग मकबरे के पास पहुंचे और उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। हालाँकि, पुलिस प्रशासन की ओर से.से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है. फिलहाल, माहौल तनावपूर्ण है.
यूपी फतेहपुर की शर्मनाक घटना…
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में नवाब अब्दुल समद के मकबरे पर हमला, तोड़फोड़ और पुलिस से भिड़ंत यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल पर हमला नहीं, बल्कि संविधान, कानून और लोकतंत्र पर सीधा प्रहार है।
इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई, जब स्थानीय भाजपा जिला अध्यक्ष ने सार्वजनिक रूप से दावा किया कि यह मकबरा असल में भगवान शिव और श्रीकृष्ण का मंदिर था। इस बयान के बाद हिंदू संगठनों ने वहां इकट्ठा होकर तोड़फोड़ की और पुलिस से भिड़ गए।
जब भीड़ अपने आपको कानून से ऊपर समझने लगे और प्रशासन मूक दर्शक बन जाए, तो यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
क्या यूपी सरकार और उसके मुखिया योगी आदित्यनाथ, केंद्र की भाजपा सरकार, और देश की न्यायपालिका इतने कमजोर हो गए हैं कि उपद्रवियों के सामने नतमस्तक हो जाएं?
मेरे गंभीर प्रश्न???
आखिर कब तक इस लोकतांत्रिक और संवैधानिक भारत में अल्पसंख्यकों की मस्जिदों और मकबरों के नीचे खुदाई कर-करके भगवान को ढूंढा जाता रहेगा?
क्या देश संविधान और कानून से चलेगा, या भीड़तंत्र से?
क्या सुप्रीम कोर्ट इस खुले कानून उल्लंघन पर स्वतः संज्ञान लेगा?
देश का अल्पसंख्यक समाज बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए आस्था के आधार पर भी अपने हिस्से की जमीन सौंप चुका है।
लेकिन इसके बाद भी धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना और आस्था के नाम पर राजनीतिक षड्यंत्र रचना यह न तो धर्म है, न ही इंसाफ।
संविधान सर्वोपरि है आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं होगी।