156 दिनों बाद मिली राहत: बांग्लादेश में ISKCON के पूर्व पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को हाई कोर्ट से जमानत
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को 156 दिनों की हिरासत के बाद आखिरकार हाई कोर्ट से ज़मानत मिल गई है। ISKCON से जुड़े रहे पुजारी दास की गिरफ्तारी को भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने धार्मिक व न्यायिक उत्पीड़न करार दिया था।
उनकी गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं भी सामने आईं, जिससे वैश्विक स्तर पर चिंता जताई गई। अब उनकी रिहाई को बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों — विशेषकर हिंदुओं — के लिए न्याय और सुरक्षा की एक महत्वपूर्ण जीत माना जा रहा है।

आपका बयान सही है। बांग्लादेश के हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में 156 दिनों बाद उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई है।

चिन्मय कृष्ण दास, जो बांग्लादेश समिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता थे, को नवंबर 2024 में चटगांव में एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा ध्वज फहराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें एक वकील की मौत भी हुई थी ।

उनकी जमानत याचिका पहले कई बार स्थगित की गई थी, और 2 जनवरी 2025 को सुनवाई के दौरान कोई वकील उनकी ओर से पेश नहीं हुआ था, जिसके कारण सुनवाई में देरी हुई थी । हालांकि, अंततः उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत प्रदान की।

भारत सरकार ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की थी और बांग्लादेश से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की थी । बांग्लादेश सरकार ने इस मामले को आंतरिक मामला बताते हुए भारत की टिप्पणियों को खारिज किया था ।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों को फिर से उजागर किया है।

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