जी हां, भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच तुर्की (Türkiye) ने पाकिस्तान के प्रति अपनी समर्थन की भावना स्पष्ट रूप से व्यक्त की है। 7 मई 2025 को, भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान-नियंत्रित कश्मीर में आतंकवादी ढांचों पर की गई सटीक हमलों के बाद, तुर्की के विदेश मंत्री हाकान फिदान ने पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार से बात की और पाकिस्तान के प्रति तुर्की की एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने इसे “भारत की बिना उकसावे की आक्रामकता” करार दिया और पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया ।
इसके अलावा, तुर्की ने जुलाई 2024 में भारत को हथियारों और रक्षा उपकरणों की आपूर्ति पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। तुर्की के रक्षा उद्योग के उपाध्यक्ष मुस्तफा मुरात शेखर ने संसद में यह खुलासा किया कि पाकिस्तान के साथ अपने राजनीतिक संबंधों के कारण, तुर्की सरकार भारत को कोई भी रक्षा उत्पाद निर्यात करने की अनुमति नहीं देती है ।
तुर्की का यह रुख भारत में विवाद का कारण बना है। भारत में कई विश्वविद्यालयों ने तुर्की के साथ अपने शैक्षिक संबंधों को निलंबित कर दिया है। जामिया मिलिया इस्लामिया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने तुर्की संस्थानों के साथ अपने समझौतों को समाप्त कर दिया है ।
इसके अतिरिक्त, पुणे के व्यापारियों ने तुर्की से आयातित सेबों का बहिष्कार किया है, जिसे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने “राष्ट्र प्रथम” दृष्टिकोण के रूप में सराहा है ।
इस प्रकार, तुर्की ने पाकिस्तान के प्रति अपनी समर्थन की भावना स्पष्ट रूप से व्यक्त की है, जो भारत में विभिन्न प्रतिक्रियाओं का कारण बना है।