1. चीन के साथ ‘ऑल-वेदर’ दोस्ती

पाकिस्तान का चीन के साथ “ऑल-वेदर स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप” है, जो अब तक उसका सबसे ठोस साथी रहा है। इसमें रक्षा, बुनियादी ढांचा (विशेषकर CPEC), तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग शामिल है।
लेकिन इस रिश्ते की कीमत पाकिस्तान पर भारी कर्ज़ का रूप में भी पड़ रही है, जिससे उसकी आर्थिक स्वतंत्रता सवालों के घेरे में है।

2. अमेरिका के साथ जुड़ाव

पाकिस्तान की हेमंत नीति के चलते अमेरिका के साथ भी हाल की गहन कूटनीतिक और सैन्य जुड़ाव बढ़ रहा है। सेना प्रमुख आसिम मुनिर की हालिया दो बार की अमेरिका यात्रा, ऊर्जा सहयोग (तेल आयात) और खनिजों की पेशकश इसके प्रमाण हैं।

3. बीच में संतुलन बनाना एक मुश्किल राह

पाकिस्तान दोनों महाशक्तियों के एजेंडा में से किसे प्राथमिकता दे, यह चुनना आसान नहीं। चीन से दूरी बढ़ाने पर CPEC और सुरक्षा जोखिम बढ़ते हैं, तो अमेरिका से दूरी अमेरिकी समर्थन और लाभों को सीमित कर देती है

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने चीन को बार-बार अपना बेहद खास दोस्त रहा है। पाकिस्तान को हालिया वर्षों में चीन से लगातार हथियार और निवेश मिला है। दूसरी ओर पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ भी हालिया महीनों में एक बार फिर नजदीकी बढ़ाई है। ऐसे में पाकिस्तान के रुख को लेकर कई सवाल उठे हैं कि वह कोई डबल गेम को नहीं खेल रहा है। चीन और अमेरिका के बीच फंसे पाकिस्तान ने इस पर सफाई दी है। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि दोनों ही देश उसके लिए अहमियत रखते हैं।

पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा है कि इस्लामाबाद चीन और अमेरिका दोनों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।डार ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका के साथ उसकी साझेदारी को चीन के साथ उसके घनिष्ठ संबंधों में किसी कमी की तरह से नहीं देखा जाना चाहिए। न्यूयॉर्क स्थित महावाणिज्य दूतावास में पाकिस्तानी समुदाय को संबोधित करते डार ने कहा कि चीन और अमेरिका दोनों उसके सहयोगी हैं।

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