ISRO चंद्रयान-4 मिशन के तहत चांद पर एक रोबोट भेजेगा, जो वहां से नमूने एकत्रित करके उन्हें पृथ्वी पर वापस लाएगा। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का अब तक का सबसे जटिल और महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन होगा।
चंद्रयान-4 मिशन की प्रमुख विशेषताएँ:
- लैंडिंग स्थल: मिशन की लैंडिंग चंद्रयान-3 के ‘शिव शक्ति’ बिंदु के पास होगी, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट स्थित है।
- नमूना संग्रहण: मिशन में एक रोबोटिक आर्म का उपयोग करके चांद की सतह से लगभग 2-3 किलोग्राम नमूने एकत्रित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, एक ड्रिलिंग तंत्र का भी उपयोग किया जाएगा ताकि उपसतही नमूने भी प्राप्त किए जा सकें।
यह मिशन पांच प्रमुख मॉड्यूल्स में विभाजित होगा: प्रोपल्शन मॉड्यूल, डेसेंडर मॉड्यूल, असेंडर मॉड्यूल, ट्रांसफर मॉड्यूल और री-एंट्री मॉड्यूल। इन मॉड्यूल्स को दो अलग-अलग लॉन्च वाहनों के माध्यम से भेजा जाएगा।
समय: मिशन की योजना 2028 के आसपास लॉन्च करने की है, और यह लगभग 14 दिनों तक सक्रिय रहेगा, जो चांद के एक दिन के बराबर है।
- तकनीकी विकास: मिशन के लिए आवश्यक तकनीकों में रोबोटिक आर्म, ऑटोनॉमस डॉकिंग क्षमता, और पृथ्वी पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए रि-एंट्री तकनीक शामिल हैं।
यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक योगदान देगा